गुज़रे लम्हों के दोबारा पन्ने खोल रही हूँ मैं गुज़रे लम्हों के दोबारा पन्ने खोल रही हूँ मैं
रोक सको दम गर है तुममें, प्रलय-प्रकाश जोड़ रहीं हूँ रोक सको दम गर है तुममें, प्रलय-प्रकाश जोड़ रहीं हूँ
एक बुरा सा ख्वाब समझ के, उसको भुला रही हूं मैं पीछे ना भागूंगी किसी के, लक्ष्य मैं एक बुरा सा ख्वाब समझ के, उसको भुला रही हूं मैं पीछे ना भागूंगी किसी के, ...
Afraid of expressing ourselves Afraid of expressing ourselves
बाप के कलेजे की राहत माँ की दिलो-जां,चाहत, शौहर के अरमानों की मूरत बच्चों की ढाल,हिफ बाप के कलेजे की राहत माँ की दिलो-जां,चाहत, शौहर के अरमानों की मूरत बच्च...
कितनी खुशियां लेकर मैं इस लोक जगत में आती हूँ, फिर भी अकेला हर वक्त मैं खुद को यहां कितनी खुशियां लेकर मैं इस लोक जगत में आती हूँ, फिर भी अकेला हर वक्त मैं...